कांचीपुरम में भारत की दो धाराओं का आध्यात्मिक मिलन

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कांचीपुरम, 2 अप्रैल। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या डॉ. साध्वी गवेषणाश्रीजी आदि ठाणा-4 का शंकराचार्य मठ के मठाधिपति श्री विजयेन्द्र सरस्वती स्वामीजी से मिलन हुआ। अनेक विषयों पर धर्म-चर्चा करते हुए मठाधीशपति ने कहा- भारत के विकास के साथ महिला शिक्षा का भी विशेष महत्त्व है। पर्यावरण सरंक्षण भी विकास का आयाम होना चाहिए। वर्तमान में संस्कार संपन्न महिला ही परिवार का पोषण कर सकती है। श्रीविजयेन्द्र ने कहा- आपके चातुर्मास में माधावरम् आकर स्कूली कार्यक्रम करने की इच्छा है।

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डा. साध्वी गवेषणाश्री जी ने कहा- आचार्य श्री महाश्रमणजी की सारी शिष्याएं मानवता के लिए समर्पित है। इसके लिए वह नैतिकता, सद्‌भावना व नशामुक्ति का अभियान लेकर चल रहे हैं। महिलाओं को शिक्षण देने से पहले संस्कारों की शिक्षा अवश्य दे। जैन लोग प्रायः नशा व मांसाहार से मुक्त रहते है। हिंदू लोगों में भी आप एक नशामुक्ति व मांसाहार वर्जन का आभियान चलाये तो पुनः हमारे भारत का विकास हो सकता है।

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साध्वी मेरुप्रभा, साध्वी मयंकप्रभा एवं साध्वी दक्षप्रभा जी की उपस्थिति के साथ तेरापंथ समाज के विशिष्ट श्रावक मोहनलाल सिसोदिया, राजेश, किशोर बाफना, इन्द्रचन्द धोखा तथा किशोर मण्डल से नवनीत, भावेश, मुदित आदि ने इस चर्चा-परिचर्चा में उपस्थित थे। मठाधीशपति ने बहुत ही प्रसन्नता व्यक्त की।

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