सुरजा देवी का पार्थिव देह एस.पी. मेडिकल कॉलेज में दान

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
  • प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी ने पुष्प अर्पित की दी श्रद्धांजलि

बीकानेर, 18 जुलाई। वर्तमान समय में मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के प्रायोगिक अध्ययन हेतु मानव मृत शरीर की आवश्यकता रहती है जिससे विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है।

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देह दान को लेकर बीकानेर के नागरिक भी जागरूक है इस क्रम में गुरूवार को श्रीमती सुरजा देवी धर्मपत्नी श्री मोतीलाल लेघा निवासी गजनेर रोड़ कोठारी अस्पताल के पास, का प्राकृतिक निधन हो जाने पर उनकी पूर्व इच्छानुसार उनके परिजनों ने सुरजा देवी का पार्थिव देह एस.पी. मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग को सुपूर्द किया। इस दौरान प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी, एनाटॉमी विभाग के डॉ. जसकरण, डॉ. गरिमा तथा वरिष्ठ तकनिशियन मोहन व्यास ने पार्थिव देह को पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी, प्राचार्य सोनी ने सुरजा देवी के परिजनों को ढांढस बंधाते हुए कहा कि वर्तमान में देह दान महादान की श्रेणी में आता है, सुरजा देवी के इस निर्णय से अनेक मेडिकल स्टूडेण्ट्स लाभान्वित होगें।

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उल्लेखनीय है कि सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी द्वारा सर्व समाज में देह दान हेतु जन-जागरूकता अभियान नियमित रूप से चलाया जा रहा है, इस अभियान से प्रभावित होकर आम जन देह दान का फॉर्म भर रहे हैं । वर्ष 2019 से लेकर आज तक कुल 67 देह दान एस.पी. मेडिकल कॉलेज बीकानेर को प्राप्त हो चुकि है जिसमें 46 पुरूष एवं 21 महिलाओं की पार्थिव देह शामिल है।

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आपको बता दें की अक्टूबर 2022 से डॉ. गुंजन सोनी के प्राचार्य एवं नियंत्रक पद पर पदभार ग्रहण करने से लेकर आज तक देह दान की इच्छा जताने के लिए कुल 117 लोगो ने मरणोपरान्त अपनी देह दान करने का फॉर्म भरा हुआ है जिसमें 95 फॉर्म पुरूषों के तथा 54 फॉर्म महिलाओं के शामिल है।

देश के बड़े नेताओं ने भी की हूई है अपनी देह दान

हालांकि हमारे देश में मृत्यु के उपरांत देहदान बहुत कम किया जाता है लेकिन ये समय की जरूरत है. देश के कुछ शीर्ष नेताओं ने ऐसा करके एक मिसाल भी पेश की है.

इन नेताओं में बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु, पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी, जन संघ के नानाजी देशमुख ने मरने के बाद अपनी देह मेडिकल कॉलेजों को सौंपी. मरने से पहले ही वह इस तरह का इंतजाम कर गए थे कि उनके शरीर का क्रियाकर्म करने की बजाए परिवार के लोग उसे दान कर दें.

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