शुद्ध भावों से वन्दना करने से होता तीर्थंकर गौत्र का बंधन – मुनि श्री हिमांशुकुमारजी
शुद्ध भावों से वन्दना करने से होता तीर्थंकर गौत्र का बंधन : मुनि श्री हिमांशुकुमारजी
शुद्ध भावों से वन्दना करने से होता तीर्थंकर गौत्र का बंधन : मुनि श्री हिमांशुकुमारजी
भामाशाहों के सहयोग से गंगाशहर महाविद्यालय में पुस्तकालय का लोकार्पण
साहित्यिक रचना करना रचनात्मक कार्य—प्रो. डॉ. बिनानी