सांप्रदायिक और भड़काऊ कार्यक्रमों को दिखाने पर 3टीवी चैनलों को दण्डित किया

हमारे सोशल मीडिया से जुड़े!

  • प्यार तो बहाना है… हिंदू बेटियां निशाना हैं’, ‘जिहादियों से बेटी बचाओ’ जैसे टिकर के साथ घटनाओं का सामान्यीकरण करना उचित नहीं -जस्टिस एके सीकरी
  • धार्मिक रूढ़िवादिता राष्ट्र के धर्मनिरपेक्षी ताने-बाने को बिगाड़ सकती है- जस्टिस एके सीकरी

नई दिल्ली, 2 मार्च । न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने नफरत और सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने में भूमिका निभाने के लिए कई टेलीविजन न्यूज़ कार्यक्रमों को हटाने और जुर्माना भरने के लिए कहा है।

L.C.Baid Childrens Hospiatl

एनबीडीएसए का नेतृत्व वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस एके सीकरी कर रहे हैं.

mona industries bikaner

लाइव लॉ के अनुसार, टाइम्स नाउ नवभारत पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है और न्यूज18 इंडिया को 50,000 रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है और आज तक को चेतावनी जारी की गई है. सभी तीनों चैनलों को सात दिनों के भीतर कार्यक्रमों के ऑनलाइन मंचों से हटाने का आदेश दिया गया है।

यह कदम कार्यकर्ता इंद्रजीत घोरपड़े द्वारा सांप्रदायिक और भड़काऊ कार्यक्रमों के खिलाफ दर्ज की गईं शिकायतों के बाद उठाया गया है. टाइम्स नाउ नवभारत, जो टाइम्स समूह का एक हिस्सा है, को दंडित किया गया है क्योंकि एंकर हिमांशु दीक्षित को एक समुदाय के रूप में मुसलमानों को निशाना बनाने और अंतर-धार्मिक संबंधों को ‘लव जिहाद’ करार देने का दोषी पाया गया था.

न्यूज 18 इंडिया, जो अब अरबपति मुकेश अंबानी के समूह का हिस्सा है, पर तीन शो के लिए जुर्माना लगाया गया, जिनमें से दो की एंकरिंग अमन चोपड़ा ने की थी और एक की एंकरिंग अमीश देवगन ने की थी. इन शो को दंडित किया गया है क्योंकि उन्हें श्रद्धा वाकर हत्या मामले को तथाकथित ‘लव जिहाद’ के रूप में सांप्रदायिक रंग देते हुए पाया गया था.

इंडिया टुडे समूह के आज तक को सुधीर चौधरी द्वारा एंकरिंग किए गए इसके शो के लिए चेतावनी दी गई, जिसमें राम नवमी के दौरान हिंसा की घटनाओं को एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने के रूप में सामान्यीकृत किया गया था.

शिकायतकर्ता ने निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता, तटस्थता और सटीकता के संबंध में आचार संहिता और प्रसारण मानकों के उल्लंघन का हवाला दिया था. एनबीडीएसए ने भी घटनाओं की रिपोर्टिंग में घृणास्पद भाषण की रोकथाम और उन्हें सांप्रदायिक रंग देने से बचने से संबंधित दिशानिर्देशों के उल्लंघन का हवाला दिया.

‘लव जिहाद’ पर टाइम्स नाउ नवभारत के कार्यक्रम के संबंध में

एनबीडीएसए ने कहा, ‘इसे देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि प्रसारण की शुरुआत में ही एंकर ने निष्कर्ष निकाल लिया था कि एक विशेष समुदाय के पुरुष अपनी धार्मिक पहचान छिपाकर दूसरे समुदाय की महिलाओं को फुसलाते हैं और फिर ऐसी महिलाओं के खिलाफ हिंसा या हत्या करते हैं और एक समुदाय विशेष की महिलाओं पर की गई ऐसी हर हिंसा या हत्या लव जिहाद से संबंधित है.’

एनबीडीएसए ने फैसला सुनाया, ‘यह विवादित प्रसारण के दौरान एंकर द्वारा उठाए गए सवालों और दिए गए बयानों से स्पष्ट है. जब कुछ पैनलिस्ट ने ऐसी कथित घटनाओं को सांप्रदायिक कोण देने के संबंध में और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के ऐसे चुनिंदा मामलों, जहां अपराधी एक समुदाय विशेष से था, के संबंध में अपनी चिंता व्यक्ति की तो एंकर ने उन्हें चिल्लाते हुए डांटकर चुप करा दिया और अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति नहीं दी.’

एनबीडीएसए के आदेश में अंतर-धार्मिक संबंधों के उदाहरणों के बारे में बात करते हुए कहा गया है, ‘ऐसे कुछ उदाहरणों को अंतरधार्मिक विवाह को सांप्रदायिक रंग देकर उनके संबंध में सामान्यीकृत टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए. प्रत्येक नागरिक – चाहे वह किसी भी धर्म का हो – को अपनी पसंद के व्यक्ति – चाहे वह किसी भी धर्म का हो – से शादी करने का अधिकार है. ‘

एनबीडीएसए ने आगे कहा, ‘केवल इसलिए कि एक हिंदू लड़की ने दूसरे धर्म के लड़के से शादी की, यह लव जिहाद के समान नहीं होगा जब तक कि यह स्थापित नहीं हो जाता कि ऐसी हिंदू लड़की को शादी के लिए धोखा दिया गया था या मजबूर किया गया था. इसके अलावा, ऐसी जबरन शादियों की कुछ घटनाओं के कारण पूरे समुदाय को कलंकित नहीं किया जा सकता है. इसलिए, ‘प्यार तो बहाना है… हिंदू बेटियां निशाना हैं’, ‘जिहादियों से बेटी बचाओ’ जैसे टिकर के साथ घटनाओं का सामान्यीकरण करना उचित नहीं है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, एनबीडीएसए ने कहा कि ‘लव जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल ‘भविष्य के प्रसारणों में गंभीर आत्मनिरीक्षण के साथ किया जाना चाहिए क्योंकि धार्मिक रूढ़िवादिता राष्ट्र के धर्मनिरपेक्षी ताने-बाने को बिगाड़ सकती है.’

भारतीय टीवी समाचार चैनलों का नफरत से भरा होना पिछले कुछ वर्षों से चिंता का विषय बना हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में भारतीय मीडिया में नफरत के प्रसार पर एक मामले की सुनवाई करते हुए दर्शकों को इसका कारण बताया था. एक जज ने कहा था, ‘नफरत टीआरपी बढ़ाती है, मुनाफा बढ़ाती है.’

एनबीडीएसए के आदेश में कहा गया है, ‘विवादित प्रसारण में एंकर ने डिबेट सहित कार्यक्रम आयोजित कराने वाले एंकरों के लिए विशिष्ट दिशानिर्देशों के खंड (एफ) और (एच) का भी उल्लंघन किया था.’

पिछले साल 2 मार्च 2023 को एनबीडीएसए ने तीन टीवी न्यूज चैनलों को अपने कार्यक्रम हटाने का आदेश दिया था. उनमें से दो- ज़ी टीवी के अलावा, न्यूज़18 इंडिया और टाइम्स नाउ बार-बार उल्लंघन करने वालों में शामिल थे. उन्हें अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और यूट्यूब से उनके द्वारा प्रसारित सात कार्यक्रमों को हटाने के लिए कहा गया था क्योंकि ये आचार संहिता और प्रसारण मानकों का उल्लंघन थे.

 

थार एक्सप्रेस
CHHAJER GRAPHIS

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *