महावीर कल्याणक मनाने की सार्थकता तभी होगी जब महावीर के उपदेशों को अपनाएंगे
- जैन महासभा द्वारा भव्य आयोजन हुआ शोभायात्राओं के बाद मुख्य समारोह आयोजित हुआ
- संभागीय आयुक्त ने कहा कि महावीर के सिद्धांत के अनुसार पहले निज पर अनुशासन फिर अनुशासन
बीकानेर, 21 अप्रैल । भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव का आयोजन आज गौड़ी पाश्र्वनाथ मंदिर परिसर में किया गया। जैन महासभा के तत्वावधान में हुए कार्यक्रम में एक सभा रखी गई। इसमें वक्ताओं ने भगवान महावीर के बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। इससे पूर्व दो स्थानों से शोभायात्रा निकाली गई।
इस अवसर पर गोगागेट स्तिथ गौड़ी पार्श्वनाथ मंदिर में हुई सभा में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए संभागीय आयुक्त वंदना सिंघवी ने कहा कि आज भगवान महावीर के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है। तभी सही मायने में उनके जन्म कल्याणक मनाने का उद्देश्य सिद्ध होगा।
संभागीय आयुक्त ने कहा कि महावीर के सिद्धांत के अनुसार पहले निज पर अनुशासन फिर अनुशासन। इस सत्य को जीवन में आत्म सात करना होगा। उन्होंने कहा कि जैन धर्म सही मायने में पूर्ण वैज्ञानिक धर्म है। यह जीवन जीने की कला सिखाता है। गृहस्थी जीवन में सयंम , समभाव, संतोष, धैर्य , दूसरों के प्रति आदर सम्मान करना ही असल जीवन है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने अहिंसा का मार्ग बताया है। लेकिन आज हम मन, वचन और कर्म से कहीं न कहीं हिंसा करते है। हमे इससे बचना है।
संभागीय आयुक्त ने समाज में बढ़ रहे दिखावे पर अंकुश लगाने की बात कही। उन्होंने कहा कि आज जैन महासभा की सराहना की जाए, उतनी कम है। महासभा ने शादी विवाह में 21 व्यंज्जनों का अभियान शुरू किया है। समाज के हर व्यक्ति को इसका अनुसरण करना चाहिए। यह एक अच्छी पहल है। इसमें फिजूल खर्ची से बच सकते हैं। उन्होंने कहा कि दिखावा क्यों करें। लोग आज अपने धन का प्रदर्शन करते हैं, लेकिन भगवान महावीर ने अपरिग्रह का संदेश दिया है, उसकी पालना करनी चाहिए।
संभागीय आयुक्त ने कहा कि समाज में जो क्षमा याचना पर्व मनाया जाता है, उसमें वो केवल एक दूसरे को ही क्षमा करते है, या मांगते हैं, लेकिन सही में उनको क्षमा करना चाहिए जिनसे वास्तव में मनमुटाव है, वो भले ही आपको क्षमा नहीं करें, हमे बड़पन दिखाकर उनको उस पर्व के दिन क्षमा करना चाहिए। संभागीय आयुक्त ने जैन महासभा के पदाधिकारियों से भी इसे ऐसे परिवारों को चिन्हित करने की बात कही, जिनमें मनमुटाव है, उनको क्षमा याचना के पर्व के दिन एक ही मंच पर लाना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान महिला इकाई संयोजिका प्रीति डागा, अध्यक्ष विनोद बाफना, महामंत्री मेघराज बोथरा ने संभागीय आयुक्त को जैन पताका पहनाकर व स्मृति चिन्ह भेंटकर अभिनंदन किया।
कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा में प्रवचन देते हुए इन्दिरा चौक से पधारी तेरापंथ की साध्वीश्री ललित प्रभा ने कहा कि भगवान महावीर ने मां के गर्भ में ही समझ लिया था। जीवन में पुरुषार्थ करना चाहिए। महावीर के उपदेशों अपनाएं, यही सही मायने में जयंती मनाने की सार्थकता है। हम भगवान महावीर के उपदेशों को अपने आचरण में लावें तभी महावीर का जन्मोत्सव मनाना सफल होगा।
गंगाशहर शांतिनिकेतन से पधारी तेरापंथ की साध्वी श्री प्रांजल प्रभा ने कहा कि भगवान महावीर की जन्म जयंती का प्रसंग है। चैत्र शुक्ला त्रयोदशी का दिन है। आज से लगभग 2622 वर्ष पूर्व एक शिशु ने सिद्धार्थ के यहां त्रिशला के गर्भ से प्रकट हुआ था। भगवान महावीर का जन्म चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को हुआ था।आज भगवान महावीर भले ही सदेह नहीं हैं, किन्तु जैन आगम हमें प्राप्त हैं, अनेक ग्रंथ, अनेक संत और अनेक पंथ भी विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर की प्रेरणा से आदमी अपने दृष्टिकोण को अनेकांतवादी रखने का प्रयास करना चाहिए। भगवान महावीर के सिद्धांतों को देखें तो उनमें आत्मवाद एक प्रमुख अंग है। यहां बताया गया कि आत्मा का कभी नाश नहीं होता। आत्मा अदाह्य, अक्लेद्य, अशोष्य है। इसी प्रकार कर्मवाद की बात बताई गई है। नियतिवाद के बाद भी पुरुषार्थ करने की प्रेरणा दी गई है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के पांच महाव्रत को जितना हो सके जीवन में अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा जीवन में शांति चाहतें हैं तो महावीर के सिद्धांतों को जीवन में अंगीकार करें।
खतरगच्छ की साध्वी श्री प्रभंजनाश्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम भगवान महावीर को मानते हैं परन्तु महावीर की नहीं मानते हैं. उन्होंने कहा कि जबतक हम भगवान
महावीर की कही हुयी बातों को नहीं मानेंगे तब तक ये आयोजनात्मक ही रहेगा। महावीर जन्म कल्याणक को रचनात्मक मनाने के लिए उनके सिद्धांतों को जीवन में धारण करना ही होगा।
बीकानेर दूगड़ भवन से पधारी तेरापंथ की साध्वी श्री जयंत प्रभा ने कहा कि भगवान महावीर का जन्म कल्याणक मना रहे हैं। भगवान महावीर मनुष्य जीवन के सारथी है, या चालक यह तय करना है किस रूप में स्वीकार करना है। उन्होंने कहा कि तीर्थ की स्थापना करते है, तभी तीर्थंकर कहलाते हैं। मनुष्य को जीवन में वस्तु का आग्रह नहीं करना चाहिए। वाणी से विग्रह नहीं हो। पूर्वाग्रह से प्रेरित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में पैसा सब कुछ मायने नहीं रखता। महावीर के सिद्धांतों की बात करें तो जीवन में सम्पति का संग्रह नहीं करना चाहिए । उन्होंने कहा कि दिगम्बर हो या श्वेताम्बर, महावीर सबके हैं। आज का दिन हमारी एकता को प्रकट होने में निमित्त बनने वाला हो सकता है। जैन समाज में समुचित रूप में एकता बनी रहे। बच्चों में अच्छे संस्कार आएं, नशे से मुक्त रहें, नॉनवेज से पूर्णतया बचाव हो सके, ऐसा प्रयास हो। साध्वी स्मृद्धि प्रभा, साध्वी कृतार्थ प्रभा और साध्वी संकल्प प्रभा ने गीतिका प्रस्तुत कर महावीर के संदेश को गीतमय प्रस्तुति दी।
जैन महासभा के अध्यक्ष विनोद बाफना ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि आज भगवान महावीर का2623 वां जन्म कल्याणक मनाने जा रहे हैं। यह गौरव की बात है। समाज के लिए आज के दिन का इस कारण खास महत्व है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के संदेश, आदर्श मनुष्य जाति को जीवन जीने का सही मार्ग बताते हैं।कार्यक्रम में जेन महासभा के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र जैन(बद्धाणी) ने दूर से पधारी साध्वी श्री का आभार जताया। साथ ही उन्होंने कहा कि भगवान महावीर का संदेश है कि जीवन में त्याग करना सीखे। इसका सच्चा उदाहरण है, यहां पधारी साध्वी श्री, जो इतनी गर्मी और धूप में लंबा सफर कर कार्यक्रम में शामिल हुई।
जैन महासभा के पूर्व अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जैन समाज को एक जाजम पर लाने के उद्देश्य से वर्ष 2001 में जैन महासभा का गठन किया गया था। इसके बैनर तले वर्षभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने जैन महासभा की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान महावीर के उपदेशों को जीवन में उतारने के लिए समाज में आडम्बर व फिजूलखर्ची को रोकने के लिए 21 व्यंजन सीमा अभियान लागू किया गया।छाजेड़ ने कहा की जैन महासभा में कोई भी निर्णय सब की राय करके लिया जाता है। उन्होंने बताया कि सामूहिक क्षमापना समारोह , प्रतिभा सम्मान समारोह , ज़ैन प्रोफेशनल समारोह , जरूरतमंद छात्रों के लिए फीस सहयोग इत्यादि कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
कार्यक्रम में जैन महासभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कोचर , जयचन्दलाल डागा, इन्द्रमल सुराणा, चम्पकमल सुराणा, जैन महासभा के गणमान्यजन कन्हैया लाल बोथरा , अमरचन्द सोनी , राजेंद्र सेठिया , राजेन्द्र लुणिया, जयचन्दलाल सुखानी, भंवरलाल गोलछा, मेघराज सेठिया , महेंद्र बोथरा , मनोज सेठिया, संजय बाफना ,विमल गोलछा, जसकरण छाजेड़, जतन संचेती , पवन छाजेड , रतन लाल छलानी ,जिनेन्द्र जैन, विजेन्द्र छाजेड़ , रिद्धकरण सेठिया , नारायण चोपड़ा , बसंत नौलखा , मांगीलाल झाबक , अरुण नाहटा , मानमल सेठिया, पारस खजांची, प्रिती डागा, शान्ता भूरा, सुमन छाजेड़, स्वाति छाजेड़, रेणु बोथरा, सुनिता बाफना, लीला कोठारी , प्रियंका बाफना ,पिंकी सेठिया, कुसुम बैगानी, सरिता नाहटा, बिन्दु छाजेड़, संतोष बोथरा, बबिता जैन, चंचल बोथरा, सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
गाजे बाजे से निकली शोभायात्रा
इस अवसर पर दो स्थानों से शोभायात्रा निकाली गई। पहली गंगाशहर में श्री जैन जवाहर विद्यापीठ स्कूल से निकलने वाली शोभायात्रा को संभागीय आयुक्त वंदना सिंघवी ने जैन ध्वज दिखाकर रवाना किया। इसमें भगवान महावीर के जीवन से ओत-प्रोत सजीव झांकियां सजाई गई। झांकियों कि संख्या 40 थी।दूसरी शोभायात्रा दिगंबर नसिया जी मंदिर से निकली। दोनों शोभायात्राएं बड़ा बाजार में सम्मलित होकर वहां से विभिन्न मार्गों से होते हुए गोगागेट बाहर स्थित गौड़ी पाश्र्वनाथ मंदिर पहुंचकर मुख्य समारोह में परिवर्तित हुई।
लघु नाटिका से दिया संदेश
कार्यक्रम में तेरापंथ कन्या मंडल, बीकानेर की ओर से एक लघु नाटिका न्यायालय का फैसला के माध्यम से भगवान महावीर के संदेशों, आदर्शों और उपदेशों को मंच पर बहुत ही उम्दा और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सभी मंत्रमुग्द कर दिया। कार्यक्रम में कन्याओं ने भागीदारी निभाई।
जैन महासभा के सहमंत्री विजय बाफना ने संभागीय आयुक्त वंदना सिंघवी का परिचय दिया। महामंत्री मेघराज बोथरा ने आभार जताया तथा झांकियों की प्रस्तुति देने वाले सभी संस्थाओं को प्रोत्साहन राशि भेंट की गयी। संचालन जितेन्द्र कोचर ने किया।