अपना घर वालों ने 9 वर्षों से बिछड़े डॉक्टर को अपने परिवार वालों से मिलाया

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जोधपुर , 5 मार्च। बाड़मेर स्थित अपने घर को 9 साल पहले छोड़ कर गए वेटरनरी डॉक्टर जोधपुर में परिवार को मजदूरी करते हुए मिले। जब दोनों बड़े भाइयों ने उसे देखा तो दौड़कर गले लगा लिया। उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े।

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दरअसल, 4 मार्च को जोधपुर से 212 किमी दूर शिव (बाड़मेर) में वैटरनरी डॉ. ओम प्रकाश के फोन की घंटी बजी। सामने से आवाज आई की आपका भाई जसराज हमारे पास है और सुरक्षित है क्या आप उसे लेने आ सकते हैं? पहले तो ओमप्रकाश को विश्वास नहीं हुआ लेकिन, इसके बाद अपना घर आश्रम से वीडियो कॉल के जरिए बात कराई। तब भी 8 साल पहले घर से गए भाई को पहचानना मुश्किल था। बाल बढ़े हुए थे और हालत बहुत बुरी थी। ओमप्रकाश अपने भाई डॉ. रविशंकर को लेकर जोधपुर की और निकल पड़े। वहां पहुंचे तो अपने सबसे छोटे भाई को देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

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तीनों भाई हैं डॉक्टर

जसराज के भाई ओम प्रकाश ने बताया- तीनों भाई डॉक्टर हैं, रविशंकर सिरोही में वेटरनरी डॉक्टर हैं तो ओमप्रकाश भी बाड़मेर में ही पशु चिकित्सक हैं। जसराज ने एनिमल पैथोलॉजी में पीएचडी की डिग्री ले रखी थी। 2014 में सरकारी नौकरी लग गई थी। बाड़मेर के शिव में पोस्टेड थे। इसके बाद 2015 में शादी कर दी गई थी। शादी के 6 महीने बाद जसराज घर छोड़ कर निकल गए थे।

पत्नी भी छोड़कर पीहर चली गई

मझले भाई रविशंकर ने बताया- हमने बहुत ढूंढने की कोशिश की। लेकिन, सफलता नहीं मिली। छोटे भाई के पास एक मोबाइल भी था। उस पर फोन किया तो लोकेशन यूपी की आई थी। वहां पहुंचते उससे पहले ही भाई की लोकेशन जयपुर आने लगी थी। उसका पता करते हुए जयपुर पहुंचे वहां से लोकेशन आनी बंद हो गई।

हमने मिलकर 2017-18 तक खूब तलाश की लेकिन नहीं मिले। इसी दौरान इनकी पत्नी ने भी दो साल तक इंतजार किया लेकिन फिर वह भी छोड़कर पीहर चली गई। उन्होंने कहा- पिता भूरचंद सोनी व माता निर्मला देवी पिछले आठ साल से खाने से पहले हमेशा जसराज के मिलने की उम्मीद में भगवान् से प्रार्थना करते थे और तब ही खाना शुरू करते थे।

जसराज ने बताया- वह 6 साल जयपुर रहा, कुछ समय दिल्ली में भी निकाला। इसके बाद जोधपुर आ गया। उन्होंने कहा कि जीवन यापन के लिए वो मजदूरी करते थे और जहां जगह मिले सो जाते थे। इससे ज्यादा बताने की स्थिति में वे नहीं थे।

जोधपुर में मिले स्थिति बेहद दयनीय थी

इधर, अपना घर आश्रम के सेवादार देवीलाल ने बताया कि जसराज बारहवीं रोड पर बड़ी दयनीय स्थिति में था। आश्रम की ओर से अभियान चलाया जा रहा है जिसमें इस तरह जीवन यापन करने वाले को आश्रम लाकर उन्हें परिवार वालों से मिलाने की कोशिश भी करते हैं। 1 मार्च को जसराज को हम आश्रम लाए तब इसने अपना पता मेड़ता नागौर बताया था।

लेकिन, जब हमने फोन नंबर पूछा तो वो एकदम सही निकला। 4 तारीख को रात को फोन किया तब परिवार वालों को विश्वास नहीं हुआ और फिर वीडियो कॉल कर जब बात करवाई तब उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सुबह वह बाड़मेर (शिव) से आकर अपने भाई को लेकर गए।

 

 

थार एक्सप्रेस
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