द्वितीय विश्व युद्ध के शतकवीर गौरव सेनानी का मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर में उपचार

उमंग, उल्लास एवं सद्भावना के पर्व लोहड़ी की सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह जी के एडीसी और प्रथम विश्व युद्ध के अनुभवी की पीढ़ियां आज भी सेना में कार्यरत
जयपुर,4 नवम्बर।
103 वर्षीय वरिष्ठ विश्व युद्ध II के अनुभवी सेनानी रिसालदार मेजर और ऑनरेरी कैप्टन भंवर सिंह का अक्टूबर माह 2023 के अंत से मणिपाल अस्पताल, जयपुर में चिकित्सा उपचार चल रहा है।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

वे ‘तिरेसठ’ के नाम से जानी जाने वाली 63 कैवेलरी के सैनिक है जिनका योगदान ब्रिटिश सेना के स्वतंत्रता-पूर्व दिनों से लेकर भारतीय सेना में ऑनरेरी कैप्टन बनने तक उल्लेखनीय रहा है। वे शुरुआत में 1939 में जोधपुर लांसर्स में पारंपरिक प्रक्रिया के अनुसार ‘सईस’ के रूप में नियुक्त हुए थे और उसके बाद कैवेलरी में ‘सवार’ के रूप में नामांकित हुए। वह युद्ध जैसी स्थितियों के लिए घोड़ों को प्रशिक्षित करने में बेहद निपूर्ण थे और उन्होंने भारतीय टेंट पेगिंग प्रतियोगिताओं के दौरान कई टेंट पेगिंग ट्रॉफियां जीतीं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, वह जोधपुर लांसर्स के साथ चले गए और फ़ारसी क्षेत्रों (वर्तमान ईरान और इराक) और फिलिस्तीन पर लड़े गए युद्ध में भाग लिया। युद्ध क्षेत्र में घुड़सवार के रूप में उनके अनुकरणीय और असाधारण कौशल को देखते हुए, उन्हें जमादार (नायब रिसालदार के बराबर) के रूप में आउट-ऑफ-टर्न पदोन्नति दी गई।

pop ronak

आजादी के बाद ऑनरेरी कैप्टन भंवर सिंह को जमादार के रूप में 2 लांसर्स में भेजा गया और बाद में 1956 में तिरेसठ के स्थापना पर 2 लांसर्स के तत्कालीन मेजर दर्शन जीत सिंह ढिल्लों द्वारा उन्हें वरिष्ठ जेसीओ राजपूत स्क्वाड्रन के रूप में नियुक्त कर लिया गया । रिसालदार मेजर के रूप में पदोन्नति पर, उन्हें 1967 में ईआरई पर एनसीसी कन्नानोर गए । कन्नानोर में 2 साल के कार्यकाल के बाद, उन्होंने 1969 में एनसीसी जयपुर में पदग्रहण किया। उन्हें 15 अगस्त 1971 को ऑनरेरी लेफ्टिनेंट और 26 जनवरी 1972 को सेवानिवृत्ति के बाद ऑनरेरी कैप्टन के पद से सम्मानित किया गया।

CHHAJER GRAPHIS

ऑनरेरी कैप्टन भंवर सिंह के पिता स्वर्गीय श्री अमर सिंह बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह जी के एडीसी और प्रथम विश्व युद्ध के अनुभवी थे। पारिवारिक विरासत का अनुसरण करते हुए, रिसालदार मेजर और ऑनरेरी कैप्टन भंवर सिंह ने खुद को एक श्रेष्ठ सैनिक के रूप में साबित करते हुए द्वितीय विश्व युद्ध 1962, 1965 के युद्ध में भाग लिया और कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा भी बने।

उनका परिवार एक सच्चे सैन्य पारिवारिक परंपराओं की मिसाल है , जिसमे उनके सबसे बड़े बेटे कर्नल किशोर सिंह अपने दादा की यूनिट में शामिल हुए। एक और बेटा एएमसी में और सबसे छोटे बेटे कर्नल गोविंद सिंह 18 कैवेलरी में शामिल हुए। पोतो में से एक 63 कैवेलरी में, दूसरा 61 कैवेलरी में और एक भारतीय वायुसेना में शामिल हुए। उनकी पोत्री एएससी में मेजर पद पर कार्यरत हैं और उनके दो पोत्री दामाद वर्तमान में ईएमई और गोरखा रेजिमेंट में सेवारत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *